सूर्य मिशन के लिए तैयार है भारत जानिए इसरो ने आदित्य एल-1 के कैसे तैयारी की

हाल ही मे भारत चन्द्र मिसन के बाद सूर्य मिशन की तैयारी मे जुट गया है इसरो के अधिकारियों ने बताया की सूर्य मिशन पूरी तरह स्वदेशी मिशन है जिसका कार्य पूरी तरह भारत मे हुआ है बंगुलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आईस्टो फिजिक्स ने ही विसिबल आमिसन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड को बनाया है वही इंटर यूनिवरसिटी सेंटर फॉर अटोनोमी पुणे ने सोलर अल्ट्रावाइओलेट इमेजर को विकशित किया है इसरो के अनुसार वी ई अल सी पता लगाने के लिए डाटा जुटाएगा की कोरोना का तापमान दस लाख डिग्री तक कैसे पहुच सकता है जबकि आपको बता दे की सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस से अधिक है

आप भी देख सकते है आदित्य एल 1 की लांचिंग

आदित्य एल 1 की लांचिंग देखने का सौभाग आपको भी मिल सकता है हाल ही इसरो की जानकारी से ये पता चला है की सूर्य मिसन की लाचिंग देखने के लिए वह लोगो को आमंत्रित करेगा । यदि आप श्री हरी कोटा मे लांचिंग व्यू गैलरी से लांचिंग देखना चाहते है तो आप इसरो ने इसकी एक लिंक जारी की है आप उस लिंक मे जाके पंजीकरण कर सकते ।

आदित्य एल 1 के पास क्या क्या होंगे लाभ

इसरो ने कहा है की एल 1 बिन्दु के आस पास कक्षा मे रखे गए सूर्य को बिना किसी छाया या ग्रहण के भी देखा जा सकता है जो की बहुत महत्यपूर्ण है इससे वास्तविक समय मिस्टर सौर्य की गतिविधिया और अन्तरिक्ष मे हो रहे इसके प्रभाव को आसानी से देखा जा सकता है एल 1 का उपयोग करते हुए चार पेलोड उसके ऊपर होंगे बाकी बचे तीन पेलोड एल 1 पर ही क्षेत्रो का अधयन करेंगे ।

वेदो मे भी दी गयी है सौर्य मण्डल की जानकारी

भारत मे वेदो मे भी दी गयी है जानकारी जो किसी देश मे नही है वो भारत के ऋषि मुनियो ने कई हजार वर्ष पहले ही सौर्य मण्डल के बारे मे जानकारी दी थी हमे इस पर गर्व होना चाहिए हमारे ऋग वेद मे सौर्य मण्डल के केंद्र मे सूर्य के होने और बाकी ग्रहो का इसकी परिक्रमा का उल्लेख मिलता है इसमे सूर्य का आकार सबसे विशाल होने की भी बात कही गयी है ।जो की हमारे देश के लिए बहुत गौरव की बात है ।परंतु आधुनिक युग मे सौर्य मण्डल की खोज का क्ष्रेय कपरनिकस को दिया गया है आपको बता दे की ऋग वेद मे प्रथ्वी के गोल होने और इसके गुरुत्वा करषण के बारे मे भी जानकारी दी गयी है । भारत के पुरातन काल मे ज्ञान का असीम असीम भंडार रहा है हमारे ऋषिमुनियों ने जो जानकारी जैसे चिकित्सा और सौर्यमंडल के बारे मे प्रदान की वह विश्व को बहुत दिनो बाद पता चली है बाहरी आक्रमण और अंग्रेज़ो के शासन काल ने इसमे बहुत नुकसान पहुचाया फिर भी इसको समाप्त नही कर पाये है अब अपना देश भारत पुरातन ज्ञान से आधुनिक विज्ञान के स्वर्णिम युग की ओर अंगे बाद रहा है ।

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